पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अब बीजेपी के सामने अगली चुनौती अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवाने की है। लेकिन लोकसभा और कई विधानसभाओं में प्रचंड बहुमत के बावजूद पार्टी के लिए राष्ट्रपति भवन में अपनी पसंद के उम्मीदवार को पहुंचाना आसान नहीं है। यही वजह है कि अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी इस काम के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।
पार्टी के रणनीतिकारों को इस बात का अंदाजा है कि राष्ट्रपति चुनाव में एक-एक वोट कीमती होने जा रहा है। लिहाजा दो महीने बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के लोकसभा से इस्तीफे नहीं करवाए गए हैं। इसी तरह मनोहर पर्रिकर की राज्यसभा सदस्यता भी फिलहाल बरकरार है। बीजेपी की नजर 9 अप्रैल को 12 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों के उप-चुनाव पर भी है। अमित शाह और उनकी टीम चाहेगी कि बीजेपी इनमें से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जाएं ताकि राष्ट्रपति चुनाव के लिए जरूरी वोटों के अंतर को कम किया जा सके।
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के कुल 776 सांसदों के अलावा विधानसभाओं के 4120 सांसद वोट डालेंगे। यानी कुल 4896 लोग मिलकर नया राष्ट्रपति चुनेंगे। राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया के मुताबिक इन वोटों की कुल कीमत 10.98 लाख है। बीजेपी को अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवाने के लिए 5.49 लाख कीमत के बराबर वोटों की दरकार है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और सहयोगी पार्टियों के पास कुल 5.53 लाख है. मगर इनमें से करीब 20 हजार कीमत के वोट एनडीए की सहयोगी पार्टियों के हैं। यानी जीत की गारंटी के लिए बीजेपी को अब भी 16 हजार कीमत के वोट चाहिएं। योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और पर्रिकर के इस्तीफे रुकवाकर बीजेपी ने 2100 वोटों की कमी पूरी कर ली है। नौ अप्रैल को जिन सीटों पर उप-चुनाव हैं उनके वोटों की कुल कीमत करीब 4 हजार बैठती है। यही वजह है कि इन चुनावों पर पार्टी का खास जोर है।