पढ़िए कश्मीर में घायल हुए जवानों की अनसुनी कहानी

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फाइल फोटो

श्रीनगर : कश्मीर में चल रही हिंसा में नुकसान सिर्फ घाटी के नागरिकों का ही नहीं हुआ है, बल्कि इस हिंसा में नागरिकों से ज्यादा सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह जब कश्मीर के हालात पर जानकारी दे रहे थे, उस वक्त एक और सुरक्षाकर्मी कॉन्स्टेबल मुदसिर अहमद ने दम तोड़ दिया। इसके साथ ही कश्मीर हिंसा में मरने वाले जवानों की संख्या 2 हो गई है। राजनाथ सिंह ने बताया कि कश्मीर हिंसा में अब तक 2,259 नागरिकों के अलावा 2,228 पुलिसकर्मी और 1,100 से ज्यादा सीआरपीएफ के जवान घायल हुए हैं।
8 जुलाई को आतंकी बुरहान के एनकाउंटर के बाद से कश्मीर में तनाव और हिंसा का माहौल है। एक ओर जहां कश्मीरी नागरिकों के घायल होने की खबरें लगातार आ रही हैं, वहीं इन जवानों के जख्मों पर किसी का ध्यान नहीं गया। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान और सीआरपीएफ के जवान भी उतने ही घायल हुए हैं, जितना कि प्रदर्शनकारी। लेकिन राजनीति और भारी विरोध प्रदर्शन के चलते इन जवानों के अस्पताल में इलाज में भी दिक्कत आ रही है।

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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया ‘कुछ इमरजेंसी केसों में हम अपने घायल जवानों को सिविल अस्पताल ले जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों की भीड़ के चलते उन्हें वहां ले जाना महफूज़ नहीं रह जाता। अस्पताल में इतना भारी विरोध होता है कि हमें उनको वहां से हटाकर आर्मी अस्पताल ले जाना पड़ता है।’बेस हॉस्पिटल के कमांडेंट ब्रिगेडियर एमएस तेवतिया ने बताया कि कई पुलिसकर्मियों को शुरुआती इलाज के बाद फिर से ड्यूटी पर भेज दिया जाता है। लेकिन सीआरपीएफ के 12 जवान और पुलिस के 8 जवान अब भी गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के घायल जवानों में से एक जवान प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए ग्रेनेड हमले में गंभीर रूप से घायल हैं। इनके पेट, सीने, सिर में गंभीर चोटें आई हैं। ग्रेनेड हमले में ही घायल हुए एक मराठी कॉन्स्टेबल ने बताया कि किस तरह भीड़ में से निकले एक युवक ने दर्जनों की संख्या में खड़े सुरक्षाकर्मियों पर ग्रेनेड से हमला कर दिया था।

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केरल के निवासी एक घायल कॉन्स्टेबल ने बताया, ‘हमें पत्थर फेंकने वाली ऐसी भीड़ की आदत होती है, जो लगभग हर शुक्रवार को सड़कों पर निकलकर पत्थर फेंकती है। हम पत्थर और ग्रेनेड हमले बर्दाश्त करते हैं, लेकिन कभी जवाब नहीं देते। हम हमेशा शांत रहने की कोशिश करते हैं क्योंकि हम इन युवाओं पर गोलियां नहीं चलाना चाहते।’ उन्होंने कहा, ‘मैं उस वक्त डर गया, जब मेरे घायल होने पर भीड़ ने अस्पताल तक मेरा पीछा किया।’

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