मोदी के बाद अब सुषमा ने ट्रंप को सुनाई खरी खरी

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मीरा कुमार
फाइल फोटो, साभार

नई दिल्ली: मोदी सरकार के 3 साल पूरा होने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने मंत्रालय के कार्यों का लेखा-जोखा पेश किया। सुषमा स्वराज ने यूपीए के अंतिम 3 साल और मोदी सरकार के 3 साल के कार्यकाल की तुलना करते हुए दावा किया कि उनकी सरकार ने विदेशी फ्रंट से लेकर घरेलू मोर्चे तक शानदार काम किया। पैरिस समझौते से अलग होते वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की भारत विरुद्ध टिप्पणी को गलत बताते हुए सुषमा ने कहा कि भारत ने किसी लालच या दबाव में पैरिस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए थे और हम इसका हिस्सा बने रहेंगे।

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विदेश मंत्री ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ अपने सभी मामले द्विपक्षीय आधार पर हल करना चाहता है, लेकिन वार्ता और आतंकवाद दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय है। भारत-पाक बातचीत में तीसरा पक्ष मंजूर नहीं है। नवाज ने अपने जन्मदिन पर पीएम को बुलाया था और न्यौते का सम्मान करते हुए पीएम वहां गए। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ के बीच बैठक की संभावना पर उन्होंने कहा कि इसको लेकर दोनों पक्षों की ओर से कुछ भी तय नहीं है।

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सुषमा स्वराज ने एच-1बी वीजा, पैरिस समझौते पर ट्रंप की भारत विरोधी टिप्पणी पर भी जवाब दिया। सुषमा ने कहा, ‘ओबामा के कार्यकाल के दौरान जिस तेजी से संबंध बढ़ रहे थे उसी तेजी से ट्रंप के कार्यकाल में भी बढ़ रहे हैं। लगातार हमारे और उनके नेता संपर्क में हैं। ट्रंप प्रशासन भारत और अमेरिका के संबंधों को पारस्परिक लाभ का संबंध मान रहा है। एच-1बी वीजा के बारे में एक बात साफ कर दूं कि अभी तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।’

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ट्रंप के बयान पर सुषमा ने कहा, ‘भारत ने पैरिस समझौते पर किसी के दबाव से हस्ताक्षर नहीं किया था। हमारी पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता के लिए हमने हस्ताक्षर किया। यह आज की प्रतिबद्धता नहीं है। हमारी प्रतिबदद्धता 5000 साल की है। यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर है। इसलिए कोई कहे कि दबाव या पैसे के लिए हस्ताक्षर किए तो मैं ये आरोप खारिज करती हूं। भारत पैरिस समझौते का हिस्सा बना रहेगा।’