नई दिल्ली। चुनाव सुधार की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार(25 सितंबर) को कहा कि इस बाबत एक व्यापक विचार-विमर्श करने का वक्त आ चुका है कि चुनावों में धनबल की भूमिका के संदर्भ में स्थिति कैसे सुधारी जा सकती है और एक ही साथ चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं।
भाजपा के विचारक रहे दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर अगले एक साल तक आयोजित किए जाने वाले समारोहों की शुरूआत के बाद पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में अपने समापन संबोधन में प्रधानमंत्री ने ये सुझाव दिए। उपाध्याय की जयंती केंद्र सरकार और भाजपा दोनों की ओर से मनाई जाएगी।
मोदी ने कहा कि ‘‘चुनाव सुधार पर व्यापक विचार-विमर्श का वक्त आ गया है। चुनाव प्रणाली में सुधार पर चर्चा किए जाने की जरूरत है। चुनाव प्रणाली में क्या खामियां हैं, धन की भूमिका क्या है और सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कैसा है, विभिन्न चुनावों के कारण देश कितने तरह के बोझ का सामना करता है। कई राजनीतिक पार्टियों के लोग मुझसे कहते हैं कि चुनाव सुधार को लेकर कुछ किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि उपाध्याय की जन्मशती पर इन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। प्रधानमंत्री ने पार्टी के करीब 1700 नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा कि वे उपाध्याय की जन्मशती पर इस मुद्दे पर संगोष्ठियों का आयोजन करें। उन्होंने कहा कि ‘‘मंथन होने दीजिए, इससे अमृत निकल कर आएगा।’’