चारण्य लिखती हैं, “ज़ाहिर है, वह प्यारी, बहुमुखी अभिनेत्री थीं, जिन्हें कई नृत्यों में महारत हासिल थी, लेकिन यह उतना ज़ाहिर नहीं है कि वह बेहद पढ़ी-लिखी और हाज़िरजवाब भी थीं… वह प्रखर थीं, और वह यह बात जानती भी थीं…”
इस पोस्ट में वर्ष 1989 की उस घटना का ज़िक्र भी किया गया है, जब तमिलनाडु की विधानसभा में करुणनिधि के बजट का विरोध करने पर जयललिता के साथ कथित रूप से बदतमीज़ी की गई थी, उनके कपड़े फाड़ दिए गए थे, और उनके बाल भी खींचे गए थे… पोस्ट के मुताबिक, “यह संभवतः किसी भी राज्य विधानसभा की कार्यवाही में दर्ज हुई किसी महिला के अपमान की सबसे बड़ी घटना थी… फिर भी वह डटी रहीं… इस घटना के बाद वह पहले से ज़्यादा सतर्क हो गईं… उन्होंने खुद को कपड़ों की कई परतों में ढक लिया, और किसी भी तरह के जेवर पहनना बंद कर दिया… खुद को ‘डीसेक्सुअलाइज़’ करने में वह कामयाब रहीं, और उन्होंने खुद को ‘अम्मा’ के रूप में स्थापित कर लिया, जो इस टेस्टॉस्टेरोन-से भरे वातावरण में सम्मान पाने का एकमात्र रास्ता था…”