विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक ने अपने एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेंशन पर लगे बैन का विरोध करते हुए इसे सांप्रदायिक फैसला बताया। नाइक के प्रवक्ता ने उनका पत्र जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि किसी एजेंसी ने उनसे पूछताछ तक नहीं की और IRF पर बैन लगा दिया गया।
नाइक ने पत्र में लिखा है, ‘मुझसे एक बार भी पूछताछ नहीं हुई और न ही मुझे अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। उनका अजेंडा खुला और साफ-साफ है; किसी भी तरह मुझे फंसाना।’ नाइक ने आरोप लगाया कि सरकार ने देश का मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए IRF पर बैन लगाया है।
नाइक ने लिखा है, ‘IRF पर बैन लगाने का फैसला तब लिया गया जब नोटबंदी की वजह से पूरा देश कैश की किल्लत से जूझ रहा था। मुझे हैरानी नहीं होगी कि इस बैन को असल मुद्दों से मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए लगाया गया हो।’
गौरतलब है कि, इस से पहले 10 सितंबर को भी जाकिर नाइक ने एक खत जारी किया था और खुद को पीड़ित बताया था। उस खत में उसने लिखा था कि IRF पर कार्रवाई भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई है।