छठ पर्व की छटा: खरना प्रसाद के बाद 36 घंटे का निर्जला महाव्रत शुरू, आज सूर्य देव को पहला अर्ध्य

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छठ

छठपूजा की धूम इस बार ना सिर्फ बिहार बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी खूब देखने को मिल रही है। छठ पूजा के दूसरे दिन शनिवार को खरना हुआ। शुक्रवार शाम से प्रारंभ हुआ 24 घंटे का उपवास शनिवार शाम को समाप्त हुआ। शाम को खीर पूरी का सूर्य को भोग लगाया गया जिसके बाद व्रतियों ने भी खरना का प्रसाद ग्रहण कर उपवास खोला। प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का एक बार फिर निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया। आज शाम को पूजा के बाद अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। यानी आज सूर्य देव को पहला अर्ध्य दिया जाएगा। जबकि कल यानी 7 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण कर उपवास खोला जाएगा। इसके साथ 4 दिवसीय छठ पूजा संपन्न होगी।

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घाटों पर दिया जाएगा अर्घ्य
देश भर में छठ के मौके पर जगह-जगह गूंज रहे गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। वहीं छठ घाटों को भी संजाने के काम को अंतिम रूप दिया जा रहा है, बिहार के पटना में लाखों की संख्या में लोग गंगा किनारे सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पहुंचेंगे। पटना के तमाम घाटों को भव्य तरीके के सजाया गया है। साथ ही दिल्ली में ITO के पास यमुना के तट पर भी भारी संख्या में भक्त अर्घ्य देने पहुंचेंगे, यहां भी तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है। इसके अलावा पूरे बिहार-झारखंड में नदी, नहर और तालाब के किनारे अर्घ्य देने के लिए घाट बनाए गए हैं।

आज शाम को दिल्ली में कई जगहों पर ट्रैफिक जामभी मिल सकता है, खासतौर से यमुना से सटे इलाकों में। हालांकि ट्रैफिक से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस ने कुछ खास तैयारियां की है, ऐसे में आज रविवार होने की वजह से भी ट्रैफिक की समस्या ज्यादा नहीं होगी।

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छठ मैया की महिमा
गौरतलब है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व छठ पूजा मनाया जाता है। नहाय खाय के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो जाती है। चार दिन तक चलने वाले इस आस्था के महापर्व को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है। इसके महत्व का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी गलती के लिए कोई जगह नहीं होती। इसलिए शुद्धता और सफाई के साथ तन और मन से भी इस पर्व में जबरदस्त शुद्धता का ख्याल रखा जाता है।

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ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा के बनने वाले प्रसाद को जो भी निसंतान दंपती श्रद्धा भाव से प्रसाद ग्रहण करते हैं। उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि छठ पूजा के दौरान काम आने वाली गौरा और गणेश की प्रतिमा जो निसंतान दंपती अपने घर लेकर जाता है, उन्हें भी संतान की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि मन्नत पूरी होने पर छठ पूजा सूर्य को हाथी के प्रतिक के रूप में मिटटी के हाथी अर्पित किए जाते हैं।
छठ मैया के मधुर गीत को सुनने के लिए नीचे दिए वीडियो पर क्लिक करें –