भारत में गर्भनिरोधक को लेकर बहुत जागरूकता होने के बावजूद भी कम ही लोग है जो इसका इस्तेमाल करते हैं। इंडियास्पेंड वेबसाईट ने सरकारी स्वास्थ्य आंकड़ों के विश्लेषण के बाद ये जानकारी दी है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1.2 अरब से भी अधिक जनसंख्या है। और गर्भनिरोधक उपायों के इस्तेमाल में भारत में पिछले एक दशक में कमी दर्ज की गई है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के 2005-06 और 2015-16 की रिपोर्टों के तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में, जन्म नियंत्रण के तरीकों के प्रति अधिक जागरुकता और परिवार नियोजन सेवाओं में सुधार लाने के बावजूद भी सर्वेक्षण किए गए 14 में से 10 राज्यों में, महिलाओं के बीच आधुनिक गर्भनिरोधक के उपयोग में सिर्फ 6 फीसदी की गिरावट हुई है। गोवा में इसके इस्तेमाल में सर्वाधिक 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि असम में सर्वाधिक 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई।
गर्भनिरोध के लिए महिला एवं पुरुष नसबंदी, गर्भनिरोधक गोलियां, आईयूडी एवं पीपीआईयूडी, गर्भनिरोधक इंजेक्शन, पुरुष एवं महिलाओं के कंडोम और गर्भनिरोध जैसे अनेक आधुनिक उपाय है। सर्वेक्षण में शामिल 14 राज्यों में में सात राज्यों में कंडोम के उपयोग में वृद्धि पाई गई है। वहीं
सर्वेक्षण किए गए इन 14 राज्यों में जहां सात राज्यों में कंडोम के इस्तेमाल में वृद्धि पाई गई, वहीं सात राज्यों में इसके इस्तेमाल में कमी दर्ज की गई।इस पर जनस्वास्थ्य सलाहकार कुमार दास ने इंडियास्पेंड को बताया, ‘हो सकता है कि किसी क्षेत्र विशेष में उपलब्ध गर्भनिरोधक उपाय या तो वहां उतने लोकप्रिय न हों या उतने आरामदेह और आनंददायक न हों।’
दास ने यह भी कहा कि, ‘इसके पीछे प्रमुख कारण पसंददीदा उपाय हासिल करने में अड़चन का होना भी है। जैसे ग्रामीण इलाकों में कई बार दवाखाने नहीं होते या चिकित्साकर्मियों की वहां तक पहुंच नहीं होती। सीमित आपूर्ति के कारण भी विकल्प कम बचते हैं।’