नयी दिल्ली :भाषा: मानसिक समस्याओं से बचाता है ‘मन की बात’। शरीर को कोई चोट लगने पर, जिस सहजता के साथ लोग डॉक्टरों के पास पहुंच जाते हैं, उसी सहजता के साथ यदि मन की चोट का इलाज करवाने भी वे मनोविज्ञानियों के पास पहुंचने लगें तो मानसिक समस्याओं पर समय रहते काबू पाया जा सकता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर सर गंगाराम अस्पताल की वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ रोमा कुमार ने समाज में मनोविज्ञानियों से मदद लेने की स्वीकार्यता बढ़ाने के साथ-साथ परिवार और दोस्तों के बीच खुली बातचीत पर भी जोर दिया। आए दिन अखबारों में छपने वाली रोड रेज, छोटी सी बात पर हत्याओं आदि की खबरों का हवाला देते हुए डॉ कुमार ने कहा, ‘‘आजकल लोगों में सहनशक्ति बेहद कम और गुस्सा बहुत ज्यादा हो गया है। ये दोनों ही चीजें मानसिक स्तर पर असंतुलन पैदा कर देती हैं। ऐसे में बड़ा नुकसान किसी अन्य व्यक्ति को उठाना पड़ जाता है। नुकसान करने वाला व्यक्ति जब तक सामान्य हो पाता है, तब तक बात हाथ से निकल चुकी होती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों और युवाओं के अंदर सहनशक्ति कम होने की इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए जरूरी है कि परिवार में बच्चों को धर्य बरतना सिखाया जाए। उनपर सिर्फ जीतते रहने का दबाव न बनाया जाए, बल्कि उन्हें हार को स्वीकार करके फिर से खड़ा होना सिखाया जाए।’’
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