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डॉ कुमार ने कहा, ‘‘यह बात सिर्फ बच्चों पर ही नहीं, घर के व्यस्कों पर भी लागू होती है। कछुए और खरगोश की कहानी हम सभी ने पढ़ी है। एकाएक सफल हो जाने की होड़ न करें। अपनी गति से चलें, वर्ना फायदे से ज्यादा अपनी सेहत का नुकसान कर बैठेंगे।’’ लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहीं डॉ कुमार ने इंटरनेट के सदुपयोगों के साथ-साथ दुरूपयोगों पर भी गौर करने के लिए कहा।उन्होंने कहा, ‘‘पढ़ाई-लिखाई और मनोरंजन के लिए इंटरनेट जरूरी है लेकिन इंटरनेट पर परोसी जा रही हिंसा को देखते हुए माता-पिता को इसके इस्तेमाल की भी एक सीमा तय करनी होगी। साथ ही उन्हें परिवार के बीच स्वस्थ संवाद कायम करना होगा ताकि यह पता चल सके कि परिवार का कोई व्यक्ति किस मानसिक स्थिति से गुजर रहा है।’’
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