भारतीय खिलाड़ियों का रियो ओलंपिक में खराब प्रदर्शन को लेकर चीनी मीडिया में जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। चीन के अख़बारों ने भारत के इस प्रदर्शन पर हैरानी जताते हुए लिखा है कि भारतीयों को इससे कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ा है। जहां भारत सिर्फ दो पदक हासिल कर सका, वहीं चीन के खिलाड़ियों ने ओलिंपिक में कुल 70 पदक हासिल किए हैं।
कई अखबारों ने तो भारत को नसीहत भी है कि वह चीन से सबक ले और अगर ज़रूरत हो तो हिचकिचाए बिना चीन से इस क्षेत्र में मदद भी मांग सकता है। चीन की लोकप्रिय वेबसाइट सिना ने लिखा, सवा सौ करोड़ भारतीयों को 36 साल में बस एक गोल्ड मेडल मिला, लेकिन फिर भी भारतीयों को इससे कोई फर्क पड़ता नहीं दिखता।
वहीं कुछ अखबारों का तो कहना है कि भारत में ‘खेल संस्कृति’ ही नहीं है। चाइना डेली ने भारतीय ओलिंपिक संघ के प्रमुख नारायण रामाचंद्रन के हवाले से लिखा है कि भारत में यदि शिक्षा और खेल की तुलना की जाए तो खेल एक कदम पीछे ही रहा है।
अखबार ने रामाचंद्रन के हवाले से लिखा है, ‘भारत के ज़्यादातर परिवार अपने बच्चों को डेंटिस्ट बना देंगे, अकाउंटेंट बना देंगे, पर ओलिंपिक की तैयारी नहीं कराएंगे।’ उनका आरोप है कि भारतीय ऐथलीटों को सरकार पूरा सहयोग नहीं देती।
कई अखबारों ने तो यहां तक सुझाव तक दे डाला कि भारत अपने खेलों के बुनियादी ढांचे को ठीक करने के लिए चीन की मदद क्यों नहीं लेता। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारतीय समाज बच्चों के खेल-कूद को बढ़ावा नहीं देता। सरकार के पास प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए धन की व्यापक कमी है।