नई दिल्ली। जीवन का लुत्फ उठाने के लिए पहचाने जाने वाले वेस्टइंडीज के आक्रामक सलामी बल्लेबाज क्रिस गेल ने शुक्रवार(9 सितंबर) को खुलासा किया कि आस्ट्रेलिया में 2005 में दिल के ऑपरेशन के बाद उन्होंने जिंदगी का लुत्फ उठाना शुरू किया।
वर्ष 2005 में वेस्टइंडीज के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान दिल में छेद के उपचार के लिए गेल का ऑपरेशन हुआ था और सभी लोगों को यह बात नहीं पता। उनके माता-पिता को भी सर्जरी होने के बाद इस बारे में जानकारी दी गई थी।
सर्जरी के बाद गेल एडिलेड में तीसरे और अंतिम टेस्ट में नहीं खेल पाए थे और उन्होंने कहा कि इस आपरेशन के बाद ही उन्हें जीवन की अहमियत पता चली। गेल ने अपनी आत्मकथा ‘सिक्स मशीन’ के लांच के दौरान कहा कि ‘‘किसी को नहीं पता कि ऑस्ट्रेलिया में उपचार के दौरान मुझे दिल में छेद के बारे में पता चला, मेरे माता पिता को भी नहीं। मुझे सर्जरी कराने के लिए बाध्य होना पड़ा और मैंने ऑपरेशन के बाद ही अपने माता पिता को सूचना दी।
उन्होंने कहा कि ‘उस समय मैंने जीवन की अहमियत पहचानी। यह मेरे लिए जीवन बदलने वाला लम्हा था। इसके बाद मैंने अपने जीवन का पूरा लुत्फ उठाने का फैसला किया और अब भी ऐसा कर रहा हूं।
गेल ने साथ ही कहा कि पिता बनने के बाद वह इंसान के रूप में परिपक्व हो गए हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘निश्चित तौर पर पारिवारिक व्यक्ति होना नयी चुनौती है, लेकिन अब मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं खूबसूरत बेटी का पिता हूं। यह बिलकुल अलग अहसास है।’’ अपनी आत्मकथा के बारे में गेल ने कहा कि यह उनके चरित्र का बिलकुल अलग पहलू पेश करेगी।
इस मौके पर मौजूद भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने गेल को क्रिकेट का सच्चा दूत बताया। उन्होंने कहा कि ‘‘क्रिस गेल मैदान के अंदर और बाहर मनोरंजन करने वाला व्यक्ति है, मजे करने वाला इंसान। वह क्रिकेट का सच्चा दूत है।’’
मैदान पर अपनी बातचीत का खुलासा करते हुए सहवाग ने कहा कि ‘‘जब हम बात करते हैं तो हम छक्के जड़ने पर चर्चा करना पसंद करते हैं और किस तरह गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त किया जाए विशेषकर आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को।’’
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा कि गेल ने अपनी प्रतिभा से क्रिकेट के खेल को और अधिक लोकप्रिय बनाया है। उन्होंने कहा कि ‘‘क्रिस गेल किंगस्टन से अधिक कानपुर में लोकप्रिय है, वह जमैका से अधिक जालंधर में लोकप्रिय है। उसने खेल को लोकप्रिय किया है और युवाओं को बल्ला थामने के लिए आकर्षित किया है।