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आराधना के दादा मेनकचंद समधारिया ने कहा, ‘हम कुछ नहीं छिपाते हैं, सबको पता था कि आराधना व्रत रख रही है। लोग आते थे और उसके साथ सेल्फी लेते थे, जबकि अब कुछ लोग उसे 68 दिन तक भूखा रखने के लिए हमारे ऊपर उंगली उठा रहे हैं।’ जैन समाज के लोगों का कहना है कि व्रत का यह नियम व्यस्क लोगों के लिए बना है और पता नहीं कैसे एक बच्ची को इसकी इजाजत दे दी गई।
आराधना के परिवार को जानने वाले लोगों का कहना है कि उसने पहले भी इसी तरह 41 दिनों का व्रत रखा था। आराधना का परिवार जूलरी का व्यापार करता है और सिकंदराबाद के पोट बाजार इलाके में उनकी दुकान है। इलाके की चाइल्ड राइट्स असोसिएशन ने आराधना के परिवार पर तुरंत कार्रवाई की मांग के साथ उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
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