गुजरात दंगों के इन दो चेहरों की हकीकत जानते हैं आप? जानकर हैरान रह जाएंगे

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कुतुबुद्दीन अंसारी (फाइल फोटो)

वहीं दूसरी तरफ पेशे से टेलर 49 वर्षीय अंसारी की तस्वीर उस वक्त खींची गई जब वह रैपिड ऐक्शन फोर्स के जवानों से रखियल एरिया में अपने परिवार को बचाने की गुहार कर रहे थे। उनका परिवार तो सुरक्षित रहा, लेकिन वह पीड़ित मुसलमानों का चेहरा बन गए। पश्चिम बंगाल की सरकार ने उन्हें कोलकाता में बसने का निमंत्रण दिया था। बहरहाल 3 बच्चों के पिता अंसारी 2005 में अहमदाबाद वापस लौट आए और वह छोटी सी अपनी एक दुकान चलाते हैं।

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गुजरात वापसी के बाद अंसारी ने दंगे में अपनी प्रॉपर्टी के नुकसान के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाए। लेकिन किराए के मकान में रहने की वजह से सरकार के पास नुकसान हुई संपत्ति का कोई रेकॉर्ड नहीं था। अंसारी की तस्वीर का बाद में कई जगह दुरुपयोग भी हुआ। अहमदाबाद में 2008 के सीरियल ब्लास्ट के बाद आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने इसका गलत तरीके से उपयोग किया था।

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मार्च 2014 में अशोक और अंसारी ने एकता और सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए एक साथ मंच साझा किया था। यह मिलाप केरल में एक एनजीओ की मदद से हुआ था, जहां अशोक ने अंसारी की बायोग्रफी रिलीज की।

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अशोक मोची के साथ कुतुबुद्दीन अंसारी

(खबर इनपुट- नवभारत टाइम्स)

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