वाइस चांसलर ने कहा कि पहली नजर में यह देरी डॉक्टरों की तरफ से नहीं बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हुई लगती है। उन्होंने बताया कि कागजी कार्रवाई करने में हुई देरी की वजह से समय पर ऐम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं की जा सकी। लिहाजा इस पूरे मामले की जांच हो रही है और 5 नवंबर तक जांच रिपोर्ट जमा कर दी जाएगी।
जेएनएमसी प्रिसिंपल ने कहा कि मूर्ति, वेंटिलेटर पर थे और उन्हें सिर्फ वेंटिलेटर वाले ऐम्बुलेंस में ही दिल्ली शिफ्ट किया जा सकता था। उन्होंने भी इस बात को माना कि कागजी कार्रवाई में थोड़ी देर हो गई जिस वजह से यह हादसा हुआ। एक दूसरे डॉक्टर ने बताया कि प्रोफेसर मूर्ति की तबियत पिछले कुछ दिनों से खराब चल रही थी और उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने की डॉक्टरों की सलाह भी नहीं मानी। रविवार को जब उनकी स्थिति ज्यादा बिगड़ गई तब वह जेएनएमसी आए।
एएमयू टीचर्स यूनियन के सचिव मुस्तफा जैदी ने प्रोफेसर मूर्ति की मौत को लापरवाही का मामला बताया और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की।