उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण के हिसाब से भी सपा-कांग्रेस गठबंधन मुफीद साबित हो सकता है। यूपी में करीब 8-10 प्रतिशत यादव वोटर हैं। वहीं करीब 25 प्रतिशत सवर्ण वोटर हैं जिनमें से करीब 12-15 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। यूपी में गैर-यादव पिछड़ी जातियों का वोट करीब 26 प्रतिशत है। राज्य में 21 प्रतिशत दलित वोट हैं। सपा-कांग्रेस को उम्मीद है कि अगड़ी जातियों के “घुमंतू वोट” एक अच्छा खासा हिस्सा गठबंधन को मिल सकता है।
सपा नेताओं को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मोहभंग और नोटबंदी जैसे फैसलों से नाराज भाजपा वोटर पाला बदल सकते हैं। सपा के रणनीतिकार मानकर चल रहे हैं कि करीब 10 यादव वोटों के अलावा करीब 15 प्रतिशत हिंदू वोट ये गठबंधन आसानी से हासिल कर लेगा। शिवपाल यादव, अमर सिंह, मुख्तार अंसारी इत्यादि से अखिलेश यादव की सीधी टक्कर का फायदा पार्टी को मिल सकता है। कई महीनों तक चले इस टकराव से अखिलेश की छवि “दलाल, भ्रष्ट और गुंडा” तत्वों को किसी भी कीमत पर न बर्दाश्त करने वाले नेता की बनी है। साल 2012 के विधान सभा चुनाव में अखिलेश को युवाओं का काफी वोट मिला था। सपा को उम्मीद है कि इस बार चूंकि अखिलेश पहले से मजबूत और सपा के निर्विवाद सुप्रीमो बनकर उभरे हैं तो पार्टी को इसका बड़ा फायदा मिलेगा।