समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों ने यूपी विधान सभा चुनाव साथ लड़ने का ऐलान कर दिया है। हालांकि अभी सीटों के बंटवारे पर पेंच फंसा हुआ है लेकिन राजनीतिक जानकारों के अनुसार पार्टी के रणनीतिकार मानकर चल रहे हैं कि दोनों दलों की जोड़ी जिताऊ साबित होगी। दोनों दलों ने इसके लिए आंकड़ों को भी तौल लिया है। माना जा रहा है कि सपा-कांग्रेस को उम्मीद है कि दोनों दलों के मिलकर चुनावी अखाड़े में उतरने पर गठबंधन को 35-37 प्रतिशत वोट मिलेंगे जो राज्य में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त होंगे। साल 2012 में सपा ने करीब 29 प्रतिशत वोट के साथ बहुमत सरकार बनायी थी। वहीं साल 20027 में बसपा प्रमुख मायावती करीब 30 प्रतिशत वोटों के साथ राज्य की मुख्यमंत्री बनी थीं।
साल 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में करीब 19 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। सपा-कांग्रेस को उम्मीद है कि चुनाव में मुसलमानों का अधिकतर वोट उन्हें मिलेगा। वहीं पार्टी गैर-मुस्लिम वोटों में से करीब 25 प्रतिशत वोट पाने की उम्मीद कर रही है। यूपी चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से होगा। सपा-कांग्रेस को उम्मीद है कि उनके एक साथ आने से भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी होने के बसपा का दावा कमजोर हो जाएगा। दोनों दलों मुसलमान वोटरों को ये संदेश देन की कोशिश कर सकते हैं कि कांग्रेस केंद्र में दावेदार है और सपा प्रदेश में तो दोनों का गठबंधन साल 2017 के विधान सभा चुनाव के बाद 2019 के लोक सभा चुनाव में भी भाजपा को चुनौती दे सकता है।