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राजभवन के आदेश पर ललन सिंह से पहले स्पष्टीकरण मांगा गया था। बाद में घोटाला उगाजर होने पर उसे निलंबित कर दिया गया लेकिन अभी भी उसे यूनिवर्सिटी के कई अफसर बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी बानगी 25 जनवरी 2017 को दिखा, यानि जिस दिन ललन सिंह को निलंबित किया गया उस दिन वो कुलपति के साथ न सिर्फ मौजूद रहा बल्कि पदाधिकारी की हैसियत से एक बड़े भवन का शिलान्यास करते दिखा।
फर्जीवाड़े का शिकार हुए शोधार्थियों के मुताबिक शिकायत करने वाले छात्र-छात्राओं को ललन की तरफ से धमकी दी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षा में माफियागिरी करने वाले ललन सिंह के रसूख काफी उंचे हैं। उसकी पहचान बड़े-बड़े लोगों से हैं। शायद यही कारण है कि खुद उसके विभाग यानि दूरस्थ शिक्षा के निदेशक शिवजी सिंह भी उसकी करतूतों से जान-बूझकर अनजान बने रहे।
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