बिसाहड़ा : इस साल बकरीद पर नहीं हो रही है कुर्बानी

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गांव की एक मुस्लिम महिला ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया, ‘अब कैसी बकरीद? पिछले साल का मामला ही अभी तक शांत नहीं हुआ है। ऐसे में हम फिर से खतरा क्यों मोल लें? गांव में कोई भी बकरीद पर कुर्बानी नहीं दे रहा है।’ एक अन्य शख्स ने बताया कि गांव के माहौल को देखते हुए इस बार कुर्बानी न देने का फैसला किया गया है। हालांकि गांव के एक अन्य मुस्लिम युवक ने दलील दी कि गरीबी और महंगाई के कारण कुर्बानी नहीं दी जा रही है। वैसे उसने यह भी कहा कि गांव का माहौल भी इस लायक नहीं है। युवक ने कहा, ‘हम लोगों को अजीब-सी नजरों से देखा जाता है। युवक टिप्पणियां करते हैं, जिन्हें हम अनसुना कर देते हैं। किसी की भी आर्थिक हालत ऐसी नहीं है कि गांव से कहीं और चले जाएं।’
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बकरीद पर पिछले साल बिसाहड़ा में हुए बवाल से सबक लेते हुए जिले की पुलिस ने हाई अलर्ट जारी किया है। एसएसपी धर्मेंद्र सिंह ने रविवार को जिले के सभी थाना प्रभारियों के साथ बैठक कर इस बाबत निर्देश दिए। बिसाहड़ा के लिए जारचा कोतवाली में एक कंपनी अतिरिक्त PAC भेजी गई है। गांव में भी PAC तैनात की गई है। जिला प्रशासन त्योहारों के मौसम को देखते हुए 2 महीने तक के लिए धारा-144 लगा चुका है। जिला प्रशासन ने गोकशी न हो, इसके लिए भी सावधान रहने को कहा है।SP (देहात) अभिषेक यादव ने बताया कि पुलिस बिसाहड़ा कांड से सबक लेते हुए इस बार हाई अलर्ट पर रहेगी। सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने-अपने इलाकों में सुबह से ही अलर्ट रहें। बकरीद के दौरान जिस थाने के इलाके में बवाल या दंगे की शिकायत मिलती है, तो उसके लिए थाना प्रभारी और बीट का दरोगा जिम्मेदार माना जाएगा। उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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आपको बता दें बिसाहड़ा में पिछले साल बकरीद के आसपास उथल-पुथल वाले दिन रहे थे। बकरीद के 3 दिन बाद 28 सितंबर 2015 को इखलाक को गोकशी के शक में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। इखलाक के बेटे दानिश को बुरी तरह पीटा गया था। गांव के 18 युवक इस मामले में गिरफ्तार किए गए थे, उनमें से 3 नाबलिग आरोपियों को जमानत मिल गई है। वहीं गोकशी के आरोप में मृतक इखलाक समेत उनके परिवार के 7 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है। इस एक साल के अंदर इस गांव ने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं। इस बकरीद पर इखलाक और उनके परिवार के सभी घरों में ताले लटके हैं। गोकशी के आरोप के चलते जान मोहम्मद का घर सील है। उनका परिवार गांव में नहीं आ रहा है।
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