यूपीए सरकार दालोंकी बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने में नाकाम साबित हुई और अब एनडीए सरकार भी पिछले दो साल से लगातार कोशिश में जुटी है कि दाल की कीमतों पर किसी तरह काबू पाया जा सकें। ये सच्चाई है कि अब तक दाल की कीमतों को कम करने की कोशिश नाकाम साबित हुई हैं। लेकिन दालों की महंगाई से आजिज सरकार ने कीमतों पर काबू पाने के लिए दलहन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसके लिए प्रस्तावित 20 लाख टन के बफर स्टॉक को सोमवार को यहां कैबिनेट की मंजूरी दे दी गई। दालों के बफर स्टॉक के रखरखाव पर कुल 18,500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने बफर स्टॉक बनाये जाने के मसौदे को मंजूरी दी। इसके मुताबिक बफर स्टॉक का आधा हिस्सा यानी 10 लाख टन दालें घरेलू मंडियों में किसानों से खरीदी जाएंगी, जबकि बाकी 10 लाख टन दालों का आयात किया जाएगा। घरेलू मंडियों से दालें तभी खरीदी जाएंगी, जब बाजार में कीमतें समर्थन मूल्य से नीचे हो जाएंगी।
इसके लिए विभाग के मूल्य स्थिरीकरण कोष से धन उपलब्ध कराया जायेगा। भारतीय खाद्य निगम, नेफेड, एसएफएसी तथा अन्य एजेंसिया घरेलू बाजार से दालों की खरीद बाजार भाव पर करेगी और यदि बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होगा तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद की जायेगी।
राज्य सरकारों को भी दालों की खरीद के लिए अधिकृत किया जा सकता है। विदेशों से दालों का आयात विदेशी सरकारों के साथ समझौते के तहत किया जायेगा। बफर स्टाक से राज्यों, केन्द्र शासित क्षेत्रों और केन्द्रीय एजेंसियों को आवंटित किया जायेगा। रणनीतिक तौर पर खुले बाजार के लिये भी दालों को जारी किया जायेगा। बफर प्रबंधन के लिये निजी संस्थानों को भी शामिल किया जायेगा।
अगले स्लाइड में देखिए दालों के दाम को काबू करने के लिए सरकार ने क्या कुछ कोशिशें की और वीडियो में देखिए क्यों आसमान छू गए दालों के दाम-