मिनिमम सपॉर्ट प्राइस (एमएसपी) और बोनस की समीक्षा करने के लिए बनी थी कमिटी
इससे पहले हाल ही में केन्द्र सरकार ने दाल के बढ़ते दामों को देखते हुए दालों की मिनिमम सपॉर्ट प्राइस (एमएसपी) और बोनस की समीक्षा करने के लिए एक कमिटी बनाई थी। दरअसल आए दिन दालों की महंगई देखते हुए सरकार का मानना है कि एमएसपी बढ़ाने जैसे उपायों से देश में दाल की खेती बढ़ेगी जिससे इसकी महंगाई को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। एमएसपी के ज़रिये राज्यों में दालों के उत्पादन व दालों की लॉन्ग टर्म पॉलिसी का खाका सरकार के सामने आ जाएगा। सरकार ने उम्मीद जताई है कि 2-3 महीनों में दाल की दामों में गिरावट हो जाएगी।
दालों के घरेलू उत्पादन और आयात पर एक नज़र
इस साल दालों का उत्पादन 2 करोड़ टन रहने की उम्मीद है जो पिछले साल 1.7 करोड़ टन रही थी। कुछ समय पहले दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने एमएसपी में अच्छी बढ़ोतरी की थी, जिससे इस साल दाल का दाम बढ़ा है। हालांकि, देश को सालाना 2.5 करोड़ टन दाल की ज़रुरत है। इसलिए उत्पादन बढ़ने के बावजूद सरकार को इसका आयात करना पड़ेगा।
साथ ही केंद्र ने दालों की महंगाई कम करने के लिए इसका बफर स्टॉक 8 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन करने का भी फैसला किया है। अगर कमिटी सिफारिश करती हो तो दालों पर बोनस के तौर पर एक और इंसेंटिव मिल सकता है। अब तक सरकार ने 2016-17 में 1.19 लाख टन दाल खरीदा है। इसे राज्य सरकारों को 120 रुपये किलो के सब्सिडाइज्ड रेट पर ऑफर किया जा रहा है।
वीडियो में देखिए आखिर क्यों आसमान पर पहुंच गए दालों के दाम –
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की वीडियो –































































