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वयोवृद्ध प्रो.महावीर प्रसाद केसरी का कहना है कि सवा सौ वर्ष पहले रामलीला का आयोजन लोक स्वास्थ्य प्रमंडल कार्यालय परिसर में कराया जाता था। इसके उपरांत व्यवसायियों के सहयोग से इसे श्रीचंद मंदिर के निकट कराया जाने लगा। शनै:-शनै: विस्तार होता चला गया और आज किला का रामलीला मंच भी ‘रावण वध’ के दिन आस्थावानों की भीड़ को देख छोटा प्रतीत होने लगा है।
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