नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में शांति और व्यवस्था फिर से बहाल करने के लिए सरकार एक साथ ही नर्म और सख्त रुख अपनाने के मूड में है। इसके लिए भारत के खिलाफ नफरत फैलाने वाले धार्मिक नेताओं पर सख्ती बरतने की तैयारी है। वहीं, उदार मूल्यों वाले मदरसों में ‘राष्ट्रवादी’ पढ़ाई और विचारों को शामिल करने की भी पहल की जाएगी।
हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में फैली हिंसा को ध्यान में रखकर सरकारी खेमे से जुड़े लोगों की राय सख्त नीति की है। सरकार से जुड़े लोगों का मानना है कि ऐसे कट्टर धार्मिक और राजनीतिक तत्वों से निपटने के लिए राजनीति के स्तर पर भी दृढ़ता दिखानी होगी क्योंकि ये तत्व उपद्रव फैलाने में शामिल रहते हैं। साथ ही ऐसे कट्टरपंथी शांति की प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश कर सकते हैं।
अलगाववादियों के प्रति सख्त रुख का राजनीतिक संदेश स्पष्ट नजर आ रहा है। ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और इन्हें प्रदेश में अशांति फैलाने वाले कारकों के रूप में सरकार मान रही है। इस राजनीतिक लाइन के संकेत आर्मी चीफ विपिन रावत के दिए बयान से भी साफ जाहिर होते हैं। रावत ने कहा था कि जो स्थानीय लोग आतंक विरोधी गतिविधियों को रोकने, पत्थर फेंकने की कोशिश करेंगे उन्हें आतंकियों का मददगार माना जाएगा। आर्मी चीफ का यह सख्त बयान पाकिस्तान और घाटी के लिए खुला संकेत है।