मध्यप्रदेश हिंसा की आग में झुलस रहा है। किसान और सरकार आमने-सामने हैं। पुलिस की फायरिंग में 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई किसान घायल हैं। किसानों के इस आंदोलन को उग्र रूप देने के लिए व्हाट्सएप का इस्तेमाल किया गया।
अंग्रेजी अखबार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की खबर के मुताबिक, जून के पहले हफ्ते में मंदसौर समेत सूबे के दूसरे इलाकों के किसानों तक व्हाट्सएप मैसेज भेजे गए। मैसेज में साफ तौर पर लिखा गया, ‘हम सरकार से कोई समझौता नहीं करने वाले हैं. सरकार से समझौता करने के लिए कुछ नहीं है। हमारी मांगे एकदम साफ है।’
बताया जा रहा है कि इस संदेश के जरिए किसानों से एकजुट होने का आह्वान किया गया। साथ ही अपनी मांगों पर कायम रहने की भी अपील की गई। मध्यप्रदेश में किसानों से 1 से 10 जून तक आंदोलन की अपील की गई थी। इसी बीच 6 जून को मंदसौर में किसानों का प्रदर्शन उग्र हो गया। इस दौरान पुलिस ने किसानों पर फायरिंग कर दी, जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई। किसानों की मौत के बाद पूरे सूबे में हंगामा मच गया। राज्य के दूसरे इलाकों में किसानों ने आगजनी और तोड़फोड़ की। मंदसौर में हिंसा के बाद इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं।
अखबार के मुताबिक, व्हाट्सएप के जरिए किसानों से एक नई अपील की गई है। मैसेज के जरिए किसानों से कहा गया है कि वो अपने-अपने गांव छोड़कर शहर में इकट्ठा हो जाएं।
इस बीच ये मैसेज भी भेजा रहा है कि किसान सेना नाम का संगठन सरकार से किस अधिकार से समझौता कर सकता है। बता दें कि किसानों की मांगों को लेकर उज्जैन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े बीकेएस और किसान सेना संगठन ने चार जून की रात आंदोलन वापस लेने की घोषणा की थी। इसके बाद किसान संगठनों में फूट पड़ जाने के कारण इस घोषणा का आंशिक असर हुआ और सूबे के अलग अलग हिस्सों में किसान अब तक आंदोलन पर कायम हैं।