जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर स्थानीय नागरिकों द्वारा की जाने वाली पत्थरबाजी के पीछे पुलिस को पाकिस्तान का हाथ होने का शक है। हाल ही में श्रीनगर में दर्ज किए गए एक मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आरोप लगाया है कि पत्थरबाजी के लिए कई व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं, जिनके एडमिन पाकिस्तानी हैं। इन ग्रुप में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे एनकाउंटर की सटीक लोकेशन और समय भेजा जाता है, फिर युवाओं से वहां पहुंचने को कहा जाता है। कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने सीएनएन-न्यूज 18 को बताया कि ”जैसे ही एनकांउटर शुरू होता है, पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के लोग लोकेशन के बारे में सटीक जानकारी भेजकर युवाओं को एक जगह इकट्ठा होने को कहते हैं।” पुलिस ने दावा किया है कि इन व्हाट्सएप ग्रुप्स में एक एरिया के युवाओं को अगले एरिया के युवाओं से जोड़ने के लिए लिंक भी डाले जाते हैं। डीजीपी एसपी वैद्य ने कहा, ”यह एक तथ्य है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल देश के दुश्मनों द्वारा किया जा रहा है।”
कश्मीर के बडगाम में, मंगलवार (28 मार्च) को एक घर में छिपे आतंकी को पकड़ने की मुहिम में जुटे सेना और पैरामिलिट्री फोर्सेज के जवानों पर पत्थरबाजी की गई, जिसमें तीन नागरिक मारे गए। कश्मीरी युवकों और सुरक्षा बलों के बीच इस मुठभेड़ में सीआरपीफ के 63 जवान घायल हुए। पिछले दिनों, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी के युवाओं से पत्थरबाजी न करने की अपील की थी। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने सख्त लहजे में पत्थरबाजों को चेतावनी देते हुए कहा था कि सेना की कार्रवाई में बाधा डालने वालों से कड़ाई से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा था कि आतंकियों की मदद करने वालों को भी आतंकी ही समझा जाएगा।