सूत्रों के मुताबिक मोदी ने आप को काउंटर करने के लिए दिल्ली के नेता विजय गोयल को अपनी सरकार में मंत्री तक बना दिया था लेकिन गोयल, केजरीवाल का डट कर मुकाबला नही कर पा रहे थे। उधर जब परगट सिंह और सिद्धू थोड़ा सा केजरीवाल के करीब हुए तो बीजेपी को लगा की ‘आप’ कहीं समूचे पंजाब में झाड़ू ना लगा दे। लिहाजा बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने सिद्धू को सलाह दी कि बेहतर होगा वो आप या आप से हटकर कोई मोर्चा बनाने की जगह कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े।
इधर सिद्धू ने दिल्ली में प्रियंका गाँधी से लेकर कई बड़े नेताओं के साथ मुलाकात की। राजनैतिक हाशिये पर खिसक रहे गाँधी परिवार ने पंजाब में अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए सिद्धू की हर शर्त मान ली। सूत्रों के मुताबिक सिद्धू की पत्नी जहाँ विधान सभा का चुनाव लड़ेंगी वहीँ कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी लोकसभा सीट छोड़कर सिद्धू को फिर से अमृतसर का एमपी बनने का मौक़ा देंगे। दूसरी तरफ पंजाब में इस बदलते समीकरण के बाद अरविन्द केजरीवाल ने प्रचार और तेज़ कर दिया है। अरविन्द का मानना है कि पार्टी अगर सारी ताकत झोंक दे तो पंजाब अब भी जीत सकती है।































































