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इधर, वे सेना से फरियाद लगाते रहे, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। कुपवाड़ा में ये सभी चार दिन तक फंसे रहे। अंत में 2 फरवरी को 10 घंटे में 30 किलोमीटर की यात्रा कर वे अगले पड़ाव तक पहुंचे। बाद में सेना की ओर से यह कहा गया कि हेलीकॉप्टर भेजा गया था तब तक अब्बास निकल चुके थे। कुपवाड़ा में सेना ने उन्हें कुछ मजदूर मुहैया कराए थे। बाकी के 22 किलोमीटर की यात्रा उन्होंने वहां से गुजरने वाली गाड़ियों से लिफ्ट लेकर की और बेटे ने अंत में अपनी मां को अपने गांव में दफनाने की अपनी इच्छा पूरी की।
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