पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का अधिकार जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को है। केंद्र इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने करीब आठ वर्ष पहले जम्मू में एक रैली में कहा था कि वह भी पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी हैं और आज देश के प्रधानमंत्री हैं। गुलाम नबी आजाद राज्य के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने विधानसभा में कहा था कि पश्चिमी पाक के शरणार्थियों के साथ बे-इंसाफी हुई है। नागरिकता के लिए जम्मू कश्मीर के संविधान में संशोधन करना पड़ता है। इसके लिए दो तिहाई बहुमत जरूरी है। उन्होंने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई, लेकिन कोई सहमति नहीं बन सकी। आजाद ने उस समय भरोसा दिलाया था कि उनको डोमिसाइल सर्टिफिकेट (अधिवास प्रमाणपत्र) दिए जाएंगे, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।
वेस्ट पाक रिफ्यूजी फ्रंट के प्रधान लब्बा राम गांधी का कहना है कि कश्मीर केंद्रित पार्टियां जानबूझ कर नागरिकता देने के मामले में रोड़े अटका रही है। पश्चिमी पाक शरणार्थी तो 1947 में आए थे, लेकिन जम्मू कश्मीर का संविधान बाद में अस्तित्व में आया था। नेशनल पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह का कहना है कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए राज्य में समय-समय पर बनी सरकारों ने कुछ नहीं किया। अब भाजपा रिफ्यूजियों के साथ धोखा कर रही है।