जम्मू : अमेरिका हो या कोई अन्य यूरोपीय देश, वहां पर अन्य देशों के बसे लोगों को निर्धारित अवधि के बाद नागरिकता मिल ही जाती है, लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं है। राज्य का अपना अलग संविधान है। यहां सत्तर वर्षों से पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी नागरिकता के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। कश्मीर केंद्रित पार्टियों ने कभी गंभीरता से शरणार्थियों को नागरिकता देने के प्रयास नहीं किए। उलटा जब कोई राहत देने की बात आती है तो राजनीति अचानक गरमा जाती है।
देश विभाजन के समय पश्चिमी पाकिस्तान से लाखों की संख्या में शरणार्थियों का पलायन भारत की तरफ हुआ। जो लोग पंजाब या देश के अन्य हिस्सों में बस गए, उन्हें बिना देरी नागरिकता समेत सारे अधिकार मिल गए। पश्चिमी पाक से आए जो शरणार्थी जम्मू-कश्मीर में रुक गए, वे आज तक पिस रहे हैं। राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने शरणार्थियों को आश्वासन दिया था कि आप यही पर रुके, आपको हक मिल जाएगा, लेकिन बाद में कोई समाधान नहीं निकला।
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