नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी की दक्षिण एशिया में अंतरिक्ष कूटनीति का सपना शुक्रवार को सच हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से दक्षिण एशिया संचार उपग्रह GSAT-9 को लॉन्च किया। मई 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से दक्षेस उपग्रह बनाने का आग्रह किया था जो पड़ोसी देशों को ‘भारत की ओर से उपहार’ के तौर पर दिया जा सके।
450 करोड़ रुपये की लागत से संचार उपग्रह GSAT-9 को इसरो ने पौने तीन साल की मेहनत के बाद तैयार किया है। पीएम मोदी ने 30 अप्रैल को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की तरफ से ‘कीमती उपहार’ होगा। उपग्रह को इसरो के जीएसएलवी-एफ09 रॉकेट से प्रक्षेपण किया गया। GSAT-9 भारत के पड़ोसी देशों के बीच संचार में मददगार होगा। आठ दक्षेस देशों में से सात देश इस परियोजना का हिस्सा हैं। बता दें कि पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है। यह उपग्रह अंतरिक्ष आधारित टेक्नॉलजी के बेहतर इस्तेमाल में मदद करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कुछ दिन पहले बताया था कि भारत अपने पड़ोसियों के लिए अपना दिल खोल रहा है। इस योजना में किसी अन्य पड़ोसी देश का कोई भी खर्चा नहीं होगा। इस संचार उपग्रह के ‘उपहार’ का अंतरिक्ष जगत में कोई और सानी नहीं है। फिलहाल जितने भी क्षेत्रीय संघ हैं, वे व्यवसायिक हैं, और उनका उद्देश्य लाभ कमाना है।