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यूनिवर्सिटी ऑफ ऐलबामा के प्रफेसर नितेश सक्सेना न बताया, ‘यह टेक्नॉलजी लोगों के जीवन में अच्छे अवसर ला रही है लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा पर खतरा बढ़ता जा रहा है।’ अपने इस दावे को साबित करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने 12 EEG हेडसेट यूजर्स के साथ टेस्टिंग करके बताया कि किस तरह यह डिवाइस पासवर्ड टाइप करते समय लोगों के हाथ, आंख, सिर की गति और उनकी विजुअल प्रोसेसिंग को कैप्चर कर लेती है, जिसका इस्तेमाल हैकर कर सकते हैं। इसके लिए हैकर सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट में यूज हुए ऐल्गोरिथम पैटर्न का इस्तेमाल करते हैं। इसकी मदद से हैकर 10000 पैटर्न को 20 तक सीमित कर लेते हैं जिसमें से सही पासवर्ड को गेस करना बेहद आसान होता है।
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