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देवबंदी आंदोलन की शुरुआत 1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम के बाद हुई थी। उसकी शुरुआत इस्लामिक विद्वान शाह वलीउल्लाह देहवाली ने की थी। उन्होंने कहा था कि मुस्लिम लोग इस्लाम के पथ से भटक गए हैं और इस वजह से ही मुगल साम्राज्य का पतन हो रहा है।
2002 से विधानसभा चुनाव 2017 से पहले तक देवबंद सीट पर समाजवादी पार्टी या फिर बहुजन समाज पार्टी का कब्जा रहा। इससे पहले 1993 और 1996 में बीजेपी भी जीती थी। उससे पहले तक देवबंद पर कांग्रेस की पकड़ थी। 2017 में सपा और बसपा में वोटों के बंटवारे का फायदा केसरिया पार्टी को मिला।
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