उत्तर प्रदेश में बीजेपी को बड़ी जीत दिलाने वालों में केशव प्रसाद मौर्य की भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता। सीएम बनें या नहीं लेकिन इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि नतीजों के बाद से ही केशव प्रसाद मौर्य सीएम की रेस में रहे हैं।
केशव प्रसाद के पक्ष में सबसे बड़ी बात ये है कि वो प्रदेश में बीजेपी का सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा हैं। केशव संघ से भी जुड़े रहे हैं। जिस तरह पीएम मोदी कभी चाय बेचा करते थे, उसी तरह केशव प्रसाद मौर्य ने भी घर का खर्च चलाने के लिए चाय बेची थी।
संघर्ष केशव मौर्य की जिंदगी का अहम हिस्सा रहा है। पारिवारिक हो या राजनीतिक केशव ने संघर्ष भी किया और हर संघर्ष में जीतते भी रहे।
मौर्य साल 2007 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े थे। लेकिन इलाहाबाद वेस्ट सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। सिराथू सीट से 2012 में समाजवादी पार्टी की लहर के बावजूद बीजेपी से जीते। 2014 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद की फूलपुर सीट से तीन लाख से ज्यादा वोट से जीते। मौर्य ने वीएचपी नेता अशोक सिंघल के साथ काफी वक्त तक काम किया।