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इस दौरान गौर करने वाली बात यह रही कि अखिलेश खेमे से गठबंधन की अटकलों के बीच कांग्रेस के नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आयोग में अखिलेश का पक्ष रखा। उनके अलावा वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने भी अखिलेश की ओर से दलीलें पेश कीं।
अखिलेश खेमे की ओर से आयोग में 1968 के चुनाव चिह्न आदेश और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा गया कि चूंकि आंकड़े उनके के समर्थन में हैं, इसलिए चुनाव चिह्न उन्हें ही मिलना चाहिए। हालांकि मुलायम की ओर से वरिष्ठ वकील और पूर्व सलिसिटर जनरल मोहन पारासरन ने कहा कि पार्टी में कोई टूट हुई ही नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी एक पक्ष को चुनाव चिह्न देना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं।
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