समाजवादी पार्टी में जारी वर्चस्व की लड़ाई के बीच अभी तक ये तय नहीं हो पाया किसाइकल चुनाव चिह्न पर अखिलेश यादव खेमे का हक है या मुलायम सिंह यादव गुट का। लेकिन सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से जिस तरह की दलीलें पेश की गई उससे लगता है कि दोनों तरफ कटुता काफी बढ़ गई है। हालांकि कुछ दिन पहले पिता मुलायम सिंह की तरफ से बेटे अखिलेश के लिए थोड़ी नरमी देखी गयी थी लेकिन आयोग में सुनवाई के दौरान उनका और उनके वकीलों का रुख साफ इशारा कर रहा था कि वह किसी हाल में झुकने को तैयार नहीं हैं, और न किसी तरह का समझौता करने को राजी हैं और ‘साइकल’ हासिल करने के लिए वह हर तरह के दांव-पेंच आजमाएंगे।
मुलायम ने आयोग में अखिलेश की तरफ से जमा किए गए हलफनामे की सत्यता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपनी दलील में कहा, “अखिलेश यादव के समर्थन में जो हलफनामे सौंपे गए हैं, उनमें कुछ ऐसे लोगों के भी साइन हैं जो इस दुनिया में अब नहीं हैं, और कुछ ऐसे है जो कोमा में हैं।”
मुलायम कैंप के एक वकील ने यह भी बताया कि ज्यादातर हलफनामों में ‘हेल्ड’ शब्द को हर जगह ‘हेल्प’ लिखा गया है, जिससे पता चलता है कि इन्हें सिर्फ कटपेस्ट किया गया है और बड़ी संख्या में पेपरों को जमा कराने का मकसद सिर्फ यह कि आयोग को इन्हें देखने में ज्यादा वक्त लगे और उन्हें अतिरिक्त समय मिल जाए। बता दें कि अखिलेश गुट की ओर से एक लाख से ज्यादा पेपर चुनाव आयोग में जमा किए गए थे। कहा गया था कि इनमें पार्टी के उन सांसदों, विधायकों, एमएलसी और प्रतिनिधियों के हलफमाने शामिल हैं, जो लखनऊ में हुए उस अधिवेशन में शामिल हुए थे जिसमें अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया था।
अगली स्लाइड में पढ़ें खबर का बाकी अंश