वाराणसी में मोदी के लिए मुसीबत बन सकते हैं अखिलेश-राहुल

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वर्ष 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से डेव्यू किया था। पहली बार वह लोकसभा चुनाव लड़े, जीते और प्रधानमंत्री बने। यहां की जनता में इसे लेकर खासा उत्साह था कि अब यहां काफी विकास होगा। यह शहर तो पहले से ही मशहूर था। अब यह और वीआईपी हो गया है। इसलिए विधानसभा चुनाव में भी इस शहर के परिणाम पर सबकी नजर होगी।

चुनाव का दौर है इसलिए यहां का भी विकास डिबेट का विषय है। यहां विकास की कई बड़ी योजनाएं शुरू हुई हैं। यहां के लोगों की बात अब पीएमओ तक पहुंचती है। पीएमओ का एक कार्यालय भी यहां खुल गया है, जिसमें वरिष्ठ मंत्री बैठते हैं। चुनाव सिर पर है इसलिए सीटों के बंटवारे को लेकर असंतोष के स्वर बीजेपी में भी दिखाई दे रहे हैं। शहर दक्षिणी सीट से श्यांमदेव राय चौधरी की जगह नीलकंठ तिवारी एवं कैंट से ज्योत्सना श्रीवास्तव के स्थांन पर उनके बेटे सौरभ श्रीवास्तव को टिकट दिया गया है। टिकट को लेकर यहां बीजेपी में इसलिए असंतोष ज्यादा दिख रहा है क्योंकि पार्टी की पकड़ यहां मजबूत है। ज्यादातर प्रत्याशियों को जीत की संभावना दिख रही है। उनकी स्थिति मजबूत है। अपना दल से गठबंधन के बाद बीजेपी के अच्छे रिजल्ट की उम्‍मीद है। इस गठबंधन का वाराणसी के आसपास ज्यादा फायदा मिलेगा।

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मोदी के पीएम बनने के बाद सरकार पर वाराणसी का काफी फोकस है। यहां के कई लोगों को अवार्ड मिले हैं। यहां के लोगों को कई अहम पदों पर बैठाया गया है। यूपी में पीएम की 14 रैलियां होनी हैं, जिनमें से वाराणसी की रैली खास होगी। यहां से पूरे प्रदेश को संदेश देने की कोशिश होगी। चूंकि यह मोदी का लोकसभा क्षेत्र है ऐसे में अगर परिणाम बीजेपी के अनुरूप नहीं आए तो उनके यहां के काम पर सवाल उठेंगे। विपक्ष उन्हें घेर सकता है।

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अगले पेज पर वीडियो में देखिए – जब अखिलेश ने की थी मोदी की अगवानी

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