2017 के यूपी चुनाव ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती को हाशिये पर धकेल दिया है। उनके हाथ से यूपी विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी की कुर्सी खिसक चुकी है। वो फिलहाल राज्यसभा की सांसद हैं और उनकी ये सदस्यता भी 2 अप्रैल 2018 को खत्म हो रही है।
महज 19 विधायकों के साथ मायावती दोबारा राज्यसभा सांसद नहीं बन पाएंगी। ऐसे में उनके पास महागठबंधन का हिस्सा बनने की ठोस राजनीतिक वजह है क्योंकि समाजवादी पार्टी का सहयोग राज्यसभ की कुर्सी बचा सकता है। हालांकि वो 2019 के लोकसभा चुनावों का इंतजार भी कर सकती हैं लेकिन बीएसपी सूत्रों के मुताबिक 2019 की अनिश्चितता को देखते हुए, अगर हो सके तो, राज्यसभा ही मायावती पहली पसंद होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो नतीजों से पहले ही बीएसपी के साथ हाथ मिलाने का प्रस्ताव रख दिया था। हालांकि उसकी नौबत ही नहीं आई लेकिन साफ है कि राजनीतिक रास्ते की मुश्किलों को देखते हुए आखिलेश की साइकिल हाथी की सवारी में कोई गुरेज नहीं करेगी। उधर राहुल गांधी की तो जंग ही 2019 के लोकसभा चुनाव हैं।
(खबर इनपुट दी क्विंट डॉट काम। मूल खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)