प्रदेश में बीजेपी सरकार और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अवैध बूचड़खाने का कारोबार करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है। जिला प्रशासन ने बूचड़खाना का रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया है। जिला प्रशासन को लगता है कि जो वैध बूचड़खाने हैं उनमें भी क्षमता से कहीं अधिक पशुओं का कटान होता है। वहीं दूसरी ओर शहर में अवैध रूप से मीट बेचने वालों में हड़कंप मच हुआ है।
पिछले दो दिनों से मेरठ में बूचडख़ाने के आसपास सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं जबकि इलाहाबाद में प्रशासनिक सख्ती के बाद तीन बूचडख़ाने सीज कर दिए गए। इसके अलावा जौनपुर और गाजियाबाद में बूचड़खानों पर ताला लगा दिया गया है। वाराणसी के जैतपुरा इलाके में मंगलवार को पुलिस ने एक अवैध बूचड़खाना बंद कराया। वहीं कुछ बूचड़खाने ऐसे भी हैं जिनकी जांच से मीट कारोबारियों में भूचाल सा आ गया है।
यूपी में अवैध बूचड़खाने बंद करना बीजेपी के लिए भले ही चुनावी मुद्दे को पूरा करने का मामला हो। लेकिन ऐसा होने से लाखों लोगों के रोजगार का संकट भी खड़ा हो जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में फिलहाल 40 बूचड़खाने वैध हैं। ये वो बूचड़खाने हैं जिन्हें केंद्र सरकार की एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) से बाकायदा लाइसेंस मिला हुआ है। जबकि एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में अवैध बूचड़खानों की संख्या साढ़े तीन सौ से ज्यादा है। बता दें कि यूपी देश में भैंस के मीट का सबसे बड़ा निर्यातक है।
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