दरअसल, बसपा के प्रति राहुल की नरमी मुंह से अनायास निकली नहीं है बल्कि यह निकाली गयी बात लगती है। इसीलिए इसे चुनाव बाद गठबंधन से जोड़कर देखा जाने लगा है। अखिलेश यादव ने गठबंधन में मायावती को जगह न मिलने के सवाल पर यह जरूर कहा कि ‘गठबंधन में कैसे जगह दे देते? उनको बहुत जगह लगती है। चुनाव चिन्ह हाथी है। मैं व राहुल उन्हें जगह नहीं दे सकते थे।’ तो फिर यह नरमी क्या चुनाव बाद की कवायद है। राहुल के बयान पर गौर करें तो उन्होंने मायावती के प्रति बहुत ही सम्मानजनक रुख दिखाया। कहा, ‘मैं मायावती जी और कांशीराम जी की पर्सनली बहुत इज्जत करता हूं।’ यहां तक कि उन्होंने मायावती और भाजपा में फर्क भी जाहिर कर दिया। बोले ‘भाजपा क्रोध और गुस्सा फैलाती है। उनकी विचारधारा से देश को खतरा है और मायावती की विचारधारा से कोई खतरा नहीं है।’
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