इस गंगा-जमुना की सरस्वती कहीं मायावती तो नहीं बनने वाली हैं ? पढ़िए ये रिपोर्ट

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मायावती
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लखनऊ:कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिस संगम की बात की है उसकी अदृश्य सरस्वती क्या बसपा यानी मायावती बनेंगी। रविवार को राहुल और अखिलेश के साझा अभियान के बाद राजनीतिक गलियारों का यही सबसे बड़ा सवाल था। राहुल ने अखिलेश की मौजूदगी में बसपा के प्रति जिस तरह नरमी दिखाई उससे यह सवाल उठना स्वाभाविक भी था। वाकई, क्या यह विधानसभा चुनाव के बाद होने वाला गठबंधन है या 2019 के लिए अभी से पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है।

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केंद्र की यूपीए सरकार को सपा और बसपा दोनों ने समर्थन दिया था लेकिन, यह भी सच है कि 1993 में साझेदारी में चुनाव लड़ने वाली सपा और बसपा में उसके बार फिर कोई समझौता कभी नहीं हुआ। जून 1995 के गेस्ट हाउसकांड के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख मायावती नदी के दो पाटों की तरह एक दूसरे के समानांतर ही दिखे। अखिलेश ने बहुत से मिथक तोड़े हैं। वह सियासी सफर में नई राह चुनने और नई इबारत गढ़ने के प्रतीक के तौर पर उभरे हैं। इसलिए बसपा के प्रति राहुल की नरमी और उनकी मंद मुस्कराहट ने कुछ संभावनाओं को जन्म दिया है।

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अगले पेज पर पढ़िए- राहुल की बसपा के प्रति नरमी कहीं जानबूझकर तो नहीं

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