इस गंगा-जमुना की सरस्वती कहीं मायावती तो नहीं बनने वाली हैं ? पढ़िए ये रिपोर्ट

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भाजपा की राह रोकने के लिए पूरी ताकत से एकजुट हो रहे राजनीतिक दलों के लिए पिछले प्रयोग ही आधार बन रहे हैं। 1993 के विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा। तब सपा ने 256 और बसपा ने 164 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। बसपा को 67 और सपा को 109 सीटें मिली थीं। जाहिर तौर पर सपा-बसपा गठबंधन ने रिकार्ड बनाया और बड़े लाभ से भाजपा वंचित रह गयी थी। तब कांग्रेस के 264 उम्मीदवारों ने जमानत गंवा दी थी।

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