वाराणसी : एक तरह जहां देश में असहिष्णुता के माहौल का जिक्र होता है वहीं ऐसे खुशनुमा वाकए भी सामने आते हैं जो नई उम्मीदें देते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ बलिया के एक गांव में, जहां एक मुस्लिम परिवार ने सांप्रदायिक सद्भाव और प्रेम की खूबसूरत मिसाल पेश की है।
पिंडारी नाम के छोटे से गांव में एक मुस्लिम परिवार ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को स्वास्तिक जैसे हिंदू शुभ चिह्नों और शब्दों वाला शादी का कार्ड भेजा है। नसरुल्लाह ने अपने छोटे भाई सेराजुद्दीन की शादी का जो कार्ड मेहमानों को भेजा है वह किसी टिपिकल हिंदू परिवार के कार्ड जैसा है। कार्ड में स्वास्तिक और कलश बने हुए हैं। इतना ही नहीं ‘श्री गणेशाय नम:’ और ‘मंगलम् भगवान विष्णु’ जैसे श्लोक भी लिखे गए हैं। सेराजुद्दीन की शादी रिजवाना से हुई है। शादी से पहले गुरुवार को मेहमानों के लिए रिसेप्शन रखा गया था।
नसरुल्लाह ने हमारे संवाददाता से बातचीत में कहा,’इसमें गलत क्या है? हमने अपने हिंदू मित्रों की सुविधा के लिए ऐसे कार्ड दिए हैं। इसमें कुछ नया नहीं है। हमलोग मिल-जुलकर शादी और त्योहार मनाते हैं। हम गांव के सीधे-सादे लोग हैं। हम सिर्फ प्यार और भाईचारे की भाषा जानते हैं। जब हमारे गांव में प्रिंटेड कार्ड का फैशन नहीं था तब हम कागज पर हाथ से लिखकर न्योता भेजते थे और उस पर हल्दी भी छिड़कते थे।’ हल्दी छिड़काना हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है।
नसरुल्लाह ने आगे बताया,’हमने अपने मुस्लिम रिश्तेदारों के लिए इस्लामिक परंपरा के मुताबिक कार्ड भी छपवाए थे। हालांकि कई मुस्लिम दोस्तों को भी हिंदू कार्ड भेजा गया था। तकरीबन सभी लोग हिंदी जानते हैं और उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है। मेरे परिवार के दूसरे सदस्यों जैसे कयामुद्दीन और कलीमुल्लाह ने भी कई मौकों पर ऐसे कार्ड भेजे हैं।’ पिंडारी एक हिंदू बहुल गांव है और यहां सिर्फ सात मुस्लिम परिवार रहते हैं। नसरुल्लाह कम आय वाले परिवार से आते हैं। वह और उनके दो भाई गुजरात की एक रोलिंग मिल में काम करते हैं, जबकि छोटा भाई सेराजुद्दीन गांव में ही रहता है। सेराजुद्दीन ने दसवीं तक पढ़ाई की है और वह एसी रिपेयर करने का काम सीख रहे हैं।
मार्केटिंग प्रफेशनल मोहसिन रजा का कहना है कि यह दो समुदायों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक मेलजोल का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने बताया कि हर धर्मों के वेडिंग कार्ड अलग-अलग तरीके के होते हैं। मुस्लिमों के कार्डों में ‘अल्लाह के नाम पर या परवरदिगार के नाम पर’ जैसे शब्द लिखे जाते हैं।
(खबर इनपुट – पशुपति नाथ, बलिया)