वाराणसी : यूपी समेत पांच राज्यों में चुनाव का दौर लगभग पूरा हो चुका है। राजनीतिक पंडित ‘चुनाव काल’ की गणना अपने-अपने आधार पर कर अनुमान लगाने लगे हैं। मीडिया भी गली-मोहल्ले रायशुमारी करने में जुटी है। काशी की गलियों में भी ज्योतिष और पंडित सियासत से जुड़े लोगों और पार्टियों के सितारों की चाल पर मंथन कर रहे हैं। ज्योतिषों की मानें तो इन ग्रहों की चाल बता रही है कि मतगणना ऐसा परिणाम लाएगी कि पार्टियों के दिग्गज नेता दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर होंगे।
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य के प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय बताते हैं कि 11 मार्च को मतगणना के दिन सिंह राशि में चंद्रमा व राहु की युति से ग्रहण योग होगा। ठीक उसी तरह चुनाव परिणाम पर भी ग्रहण लगेगा जैसे चंद्र ग्रहण लगने पर विभिन्न राशियों के लोगों पर असर पड़ता है। केतु नक्षत्र खास तौर पर प्रभावी होगा, जो आकस्मिक और अनुमान से परे होने वाली घटनाओं का कारक है। ऐसे में सारे पूर्वानुमान और आकलन फेल हो जाएंगे। जिस भी दल या नेता ने वर्चस्व कायम करने का सपना देखा होगा, टूट जाएगा। सभी की खुशियों पर तुषारापात होगा। यह बात अलग है कि किसी पर कम और किसी पर ज्यादा। यूपी समेत 5 राज्यों के चुनाव परिणामों पर ग्रहों की टेढ़ी चाल का असर दिखना तय है।
अखिल भारतीय विद्वत परिषद के महामंत्री डॉ. कामेश्वर उपाध्याय ने बताया कि चुनाव जोर पकड़ने से लेकर मतगणना के दिन तक ग्रहों की जो स्थिति है उसके चलते निश्चितरूप से चुनाव परिणाम चौंकाने वाला लेकिन काफी इफैक्टिव और लोकतंत्र के लिए बेहतर होगा। कुर्सी पाने और कुर्सी से बेदखल होने में शनि-राहु ग्रहों की प्रमुख भूमिका होती है। धनु राशि के शनि और चंद्रमा का प्रभाव किसी सूबे में किसी दल के लिए लाभकारी, वहीं दूसरी जगह चोट पहुंचाने वाला साबित हो सकता है। बेहतर प्रदर्शन से एक-दो दलों का आने वाले समय में सियासी कद बढ़ सकता है। कुल मिलाकर जनता जनार्दन एक बार फिर लोकतंत्र का सिकंदर साबित होगी, इसमे दो राय नहीं है।
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