गोरखपुर में भी योगी का बगावती अंदाज देखने को मिला। वर्ष 2002 में उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी बनाई। इसी साल विधानसभा चुनाव में उनके इस तेवर का भाजपा ने सामना किया।गोरखपुर सीट से पार्टी ने यूपी के कैबिनेट मंत्री रहे शिव प्रताप शुक्ला को प्रत्याशी बनाया।जबकि यहां से योगी अपने खास राधा मोहन दास अग्रवाल के लिए टिकट मांग रहे थे। पार्टी ने अपने कैबिनेट मंत्री को टिकट देना उचित समझा। फिर क्या था योगी ने अखिल भारतीय हिंदू महासभा के टिकट पर अपने कैंडिडेट राधा मोहन दास अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतार दिया।योगी का वहां प्रभाव इतना है कि अग्रवाल चुनाव जीत गए और शुक्लाा को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था। शुक्ला इस समय भाजपा से राज्यसभा सांसद हैं।
आक्रामक और बागी तेवर न होता तो शायद ही योगी को पार्टी यहां तक पहुंचाती। इसीलिए उन्हें जनता ने भी पसंद किया और पार्टी ने भी। बीजेपी को उनसे डर भी लगता है, उनकी जरूरत भी लगती है। आक्रामकता की वजह से ही वह संघ के चहेते भी हैं।