उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने यांत्रिक बूचड़खाने बंद किए जाने को लेकर अभी तक कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में विभिन्न जगहों पर पशु वधशालाएं बंद की जा रही हैं। हालांकि, उनमें से ज्यादातर अवैध हैं और उन्हें बंद किया जाना भी चाहिए। असोसिएशन के सदस्य के मुताबिक, बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सभी यांत्रिक कत्लखानों को बंद किए जाने का वादा किया था, अगर वह ऐसा करने के लिए कोई कदम उठाती है या फिर अध्यादेश लाती है तो असोसिएशन अदालत जा सकती है। उन्होंने कहा कि संगठित उद्योग को तंग नहीं किया जाना चाहिए।
होगा बड़ा आर्थिक नुकसान
असोसिएशन के पदाधिकारी ने बताया कि पिछले तीन महीने के दौरान नोटबंदी की वजह से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। अगर यांत्रिक बूचड़खाने बंद किए गए तो इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर असर पडे़गा। इससे उन किसानों पर भी प्रभाव पडे़गा, जो अपने बेकार हो चुके जानवरों को बूचड़खानों में बेचते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वक्त देश से करीब 26685 करोड़ रुपये का मांस दूसरे देशों में भेजा जा रहा है। अगर उत्तर प्रदेश में सभी यांत्रिक बूचड़खानों को बंद किया गया तो यह निर्यात घटकर लगभग आधा हो जाएगा। मांस कारोबारियों का आरोप है कि भारी-भरकम रिश्वत मांगे जाने की वजह से लाइसेंस हासिल करने और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेना बेहद मुश्किल हो गया है।




































































