यूपी: मोदी ने दिया जिसे उद्योग का दर्ज़ा, उसी को बंद करा रहे हैं योगी, कहीं विवाद का कारण ना बन जाए ये फैसला

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लखनऊ : यूपी में सभी यांत्रिक बूचड़खाने बंद कराना योगी के लिए आसान नहीं है। योगी सरकार को केंद्र में अपनी ही पार्टी के सरकार की नीतियों के विरोधाभास और कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी ने यूपी के चुनावी घोषणापत्र में प्रदेश के सभी यांत्रिक बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था। इसे जमीन पर उतारने की कवायद के तहत प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार ने बुधवार को एक बयान में कहा था, ‘प्रदेश में संचालित अवैध पशु वधशालाओं को बंद कराना और यांत्रिक पशु वधशालाओं पर प्रतिबंध वर्तमान सरकार की प्राथमिकताओं में से है।’

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बूचड़खानों को प्रोत्साहित करती है मोदी सरकार!
हालांकि, ऑल इंडिया मीट ऐंड लाइवस्टॉक एक्सपोर्टर्स असोसिएशन का कहना है कि यूपी में अवैध बूचड़खाने बंद किये जाने का कदम तो ठीक है लेकिन जहां तक लाइसेंसी यांत्रिक बूचडखानों को बंद करने की बात है तो यह केंद्र में इसी पार्टी की नीतियों के प्रति विरोधाभासी कदम होगा। असोसिएशन का कहना है कि जरूरत पड़ने पर यूपी सरकार के रुख को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। असोसिएशन के एक सीनियर पदाधिकारी ने बताया कि केंद्र की मोदी सरकार ने बूचड़खानों को एक उद्योग का दर्जा दे रखा है। केंद्र का खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय यांत्रिक बूचड़खाने लगाने के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान देकर इसे प्रोत्साहित करता है। वहीं उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार देश के कुल मांस निर्यात में करीब 50 प्रतिशत का योगदान करने वाले इस सूबे में यांत्रिक बूचड़खानों पर पाबंदी लगाने की बात कर रही है।

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