जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के महत्वपूर्ण कदम के तहत विश्व के 197 देशों ने रिफ़्रिजरेटर और एयरकंडीशनर में इस्तेमाल की जाने वाली ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के समझौते पर सहमति जताई। किगाली में क्लाइमेट पर असर डालने वाले हाइड्रो फ्लोरो कार्बन (एचएफसी) का इस्तेमाल कम करने के मुद्दे पर शनिवार को कानूनी रूप से बाध्य ऐतिहासिक समझौता किया गया। इस सहमति को जलवायु परिवर्तन नियंत्रण की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधन के लिए इन देशों ने यह नया समझौता किया।
समझौते की 5 खास बातें
– 197 देशों ने किए साइन
– 2 सबसे बड़ी इकॉमनी वाले देश अमेरिका और चीन भी हुए राजी
– 2019 की शुरुआत से HFC में 10 फीसदी की कटौती करेंगे विकसित देश जैसे यूरोपियन यूनियन और अमेरिका
– 2024 से चीन, लैटिन अमेरिका और कई दूसरे देश इसे करेंगे लागू
– 2028 से भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और खाड़ी देश HFC में करेंगे कटौती
धरती पर ये हैं बड़े खतरे, इसलिए समझौता जरूरी था
– 5000 साल में धरती का तापमान 4 से 7 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है।
– 100 साल में ही इसमें 0.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो चुकी है।
– तापमान में यह बढ़ोतरी ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा के बढ़ने से हुई है।
– ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा अगर इसी तरह बढ़ती रही तो धरती भी मंगल शुक्र की तरह जीवन रहित हो जाएगी।
– ग्रीनहाउस गैसों में सबसे खतरनाक HFC गैस है, इससे ओजोन परत में सुराख हो जाता है।
– ओजोन परत हमें सूर्य से निकलने वाली खतरनाक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाती है।
– HFC का उत्सर्जन इसी तरह होता रहा तो इस सदी के आखिर तक तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है।