जानलेवा बिमारियों से ग्रसित लोगों को मिलेगी इच्छा मृत्यु?

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आप को बता दें कि जांच रिपोर्ट में की गई सिफारिश के बावजूद संसदीय समिति मरणासन्न व्यक्ति के जीवन के आखिरी क्षणों की समयसीमा तय करने पर विचार कर रहा है, जो 6, 12, 18 या 24 महीने हो सकती है। समिति को इच्छामृत्यु की पात्रता के संबंध में रूपरेखा तैयार करने के लिए पूरे प्रांत से 300 से अधिक सुझाव-पत्र मिले हैं।

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समिति के प्रस्तावों के मुताबिक, इच्छामृत्यु की मांग मरीज की ओर से उठनी चाहिए और मरीज द्वारा इस तरह की मांग तीन बार किए जाने के बाद ही उस पर विचार किया जाएगा। मरीज को तीन बार इच्छामृत्यु की इजाजत मांगने के लिए कम से कम एक बार लिखित आवेदन करना होगा। इच्छामृत्यु की मांग पर मजूंरी हासिल करने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त और कम से कम पांच वर्ष के अनुभवी दो स्वतंत्र चिकित्सकों की मंजूरी लेनी होगी।

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कानून के मुताबिक, डिमेंशिया पीड़ित व्यक्ति इच्छामृत्यु की मांग नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसे मरीजों में निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। हालांकि मोटर न्यूरॉन, पार्किं सन और मल्टी सीलेरोसिस से पीड़ित मरीज इच्छामृत्यु के हकदार होंगे।

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