गौरतलब है कि चीन ने पिछले साल 30 दिसंबर को यूएन में अजहर को आतंकियों की सूची में शामिल कराने की भारत की कोशिशों पर अड़ंगा लगा दिया था। चीन ने कुछ दिन पहले अजहर पर अपने रुख में विचार करने का संकेत दिया था लेकिन, ऐन वक्त पर वह अपनी बातों से पलट गया था। भारत ने चीन के इस रवैये को आतंक के खिलाफ लड़ाई में दोहरा मापदंड बताया था। भारत ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण आघात’ करार दिया था। अजहर पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड है। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में चीन 1267 पाबंदी सूची में अजहर को डालने के भारत के आवेदन पर स्थगन लगाने वाला एकमात्र सदस्य देश है जबकि अन्य 14 सदस्य भारत के पक्ष में है। इस लिस्ट में आतंकी अजहर के शामिल होने से उसपर दुनियाभर में कई तरह की रोक लग जाएंगी।
यह पूछने पर कि सुरक्षा परिषद में अजहर पर अड़ंगा लगाने वाला चीन एकमात्र देश है इसपर शुआंग ने कहा, ‘हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत यह कदम उठाया है। चीन इस मसले पर ‘सही और पेशेवर रुख’ अपनाया है। हम अजहर के मसले पर भारत समेत सभी पार्टियों से बातचीत और सहयोग करना चाहते हैं।’
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘ मैं यह कहना चाहता हूं कि भारत और चीन दोनों आतंकवाद के भुक्तभोगी है। आतंक विरोधी अभियान के लिए हम सभी का एक ही लक्ष्य है। चीन भारत के साथ रणनीतिक सहयोग विकसित करना चाहता है।’