इस संपादकीय लेख में एक तरफ तो यह लिखा गया है कि भारत द्वारा परमाणु क्षमता संपन्न अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों के परीक्षणों से चीन परेशान नहीं है, लेकिन दूसरी तरफ इसमें यह भी कहा गया है अग्नि 4 के परीक्षण से चीन बेचैन है। संपदकीय में लिखा गया है, ‘हमें नहीं लगता है कि भारत के विकास से चीन को किसी तरह का खतरा है। आगे आने वाले समय में भारत को चीन का मुख्य प्रतियोगी नहीं माना जाएगा, लेकिन अगर भारत बहुत आगे बढ़ता है तो चीन चुप नहीं रहेगा। भारत जानता है कि अगर उसकी भौगोलिक-राजनैतिक तरकीबों से चीन के साथ उसके रिश्ते बिगड़ते हैं, तो इससे उसका ही नुकसान होगा।’
इन बातों के अलावा इस संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि ‘भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की सीमाओं’ का उल्लंघन किया है। आरोप लगाया गया है कि UN द्वारा परमाणु हथियारों और लंबी दूरी के बलिस्टिक मिसाइल्स की संख्या को लेकर तय की गई सीमा का भारत ने उल्लंघन किया है। इसमें आगे कहा गया है, ‘अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों ने भी भारत की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर अपने नियम लचीले कर दिए हैं। भारत अपनी मौजूदा परमाणु क्षमताओं से संतुष्ट नहीं है और वह ऐसे अंतरमहाद्वीपीय बलिस्टिक मिसाइल्स विकसित करने की कोशिश कर रहा है जो कि दुनिया के किसी भी देश को निशाना बना सकें। इसके बाद भारत सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों के बराबर वाली जगह पर खुद को पेश करेगा।’
सोमवार को भारत ने अग्नि-4 का सफल निर्णायक परीक्षण किया। यह मिसाइल 4,000 किलोमीटर की दूरी तक वार कर सकता है। इससे पहले पिछले हफ्ते ही भारत ने अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया था, जो कि 5,000 किलोमीटर तक वार कर सकता है। इस मिसाइल के साथ ही यूरोप और चीन के सुदूर उत्तरी इलाके भी भारत की पहुंच के भीतर आ गए हैं।